Sunday, December 30, 2007
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हर दिन एक नई शुरुआत
जीवन शाश्वत है,निरंतर है और परिवतॅशील भी। इसके कई आयाम हैं। कहीं आशा, कहीं निराशा। कहीं उदासी तो कहीं खुशी। दाशॅनिक लहजे से देखें तो जीवन भौतिकता मात्र नहीं है। इसके पार भी बहुत कुछ है। वैज्ञानिक जीवन को पदाथॅ के विकास की उच्चतम व्यवस्था मानते हैं।
मशहूर उर्दू शायर ब्रजनारायण चकबस्त ने जीवन को कुछ यूं बयां किया है,
'जिंदगी क्या है अनासिर में जहूरे तरजीब,
मौत क्या है इन्हीं अजजां का परीशं होना'।
जब एक आदमी जीवन के बारे में सोचता है तो उसके खयाल अपनों पर आ टिकते हैं। जिसमें उसका मोहल्ला, शहर, प्रदेश और देश और इनमें रहने वाले करीबी शामिल होते हैं। अगर आप इन सबको हटा दें तो पाएंगे कि जीवन रह ही नहीं गया। हैलो जिंदगी ब्लाग में ऐसे सभी मसलों पर बात होगी जो हमारे अपनों से जुड़े हैं। मेरे जीवन का सफर कानपुर से शुरू हुआ जहां मैं जन्मा, पला बढ़ा, शिक्षा पाई और कैरियर की शुरूआत किया।
जाहिर है मेरे ब्लाग में आपको यदाकदा मेरे प्यारे शहर की झलक देखने को मिलेगी। फिलहाल दिल्ली में पत्रकारिता कर रहा हूं। मेरे ब्लाग में लेख, कविताएं और कहानियां होंगी। इसके अलावा जीवन को बयां करती विभिन्न कलाओ की झलक भी इस ब्लाग पर देख पाएंगे।
आपकी रचनाओं और सुझावों का स्वागत है।
धन्यवाद
चेतन त्रिवेदी
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